लेखनी प्रतियोगिता -28-Dec-2022#इक मुलाकात जरूरी है सनम
आज नीरा के लिए और दिन से कुछ खास दिन था ।वैसे तो वही सुबह उठना बच्चों को तैयार करके स्कूल भेजना और स्वयं तैयार होकर आफिस जाना रहता था। लेकिन आज आफिस से मेल आयी थी कि उसे सात आठ दिन के लिए मीटिंग के लिए भारत जाना था।वही भारत जिसे बरसों पहले वो छोड़ आयी थी।वो भी एक जरा सी बात पर । हां अब तो वो जरा सी ही लगती है नीरा को।अपना देश ,अपनी मिट्टी और अपनो से दूर यहां विदेश मे कौन था उसका अपना । पतिदेव तो हमेशा टूर पर ही रहते थे।
नीरा को एक एक करके सारी पुरानी बातें याद आ रही थी।उस दिन उसका आफिस मे पहला दिन था।दिल धक धक कर रहा था।जब वह आफिस आयी तो साथ काम करने वाले सहयोगियों ने डरा दिया कि बास बहुत खडूस है ।खुद तो कुंवारा है और हम से ऐसे काम लेता है जैसे हम भी कुंवारे हो अरे भाई हमारे भी बाल बच्चे है ।हमे भी घर जाना होता है।
नीरा ये सब सुन रही थी और डर रही थी।तभी बास ने नयू कमर्स के लिए अर्जेंट मीटिंग रखी ताकि वो आफिस का काम सही तरीके से समझ सकें।नीरा और उसके साथ सात आठ और सहयोगी मीटिंग रूम मे बैठे थे ।तभी बास आये सभी खड़े हो गये ।नीरा के पांव कांप रहे थे जब से उसने बास के विषय मे सुना था।पर ये क्या जब वो सामने आकर बैठे तै नीरा देखती ही रह गयी एकटक ।वो समझाते रहे और नीरा एकटक निहार रही थी बास को जब बोस ने जोर से नीरा की ओर मुस्कुरा कर देखते हुए कहा "यू अंडरस्टैंड।"
नीरा अपनी पहली मुलाकात से रोमांचित हो उठी।
नीरा जैसे सपने से जग गयी हो ।वह हड़बड़ा कर इधर उधर देखने लगी।और अपनी ही मूर्खता पर मन ही मन हंसने लगी।नीरा को बोस किसी भी तरीके से खडूस नही लगा ।वह अपनी सीट पर जा कर बैठ गयी उसका मन तो अंदर ही रह गया था बस शरीर स्वचालित मशीन की तरह काम कर रहा था एक झलक उन की पाने की खातिर नीरा की हजार बार आंखे केबिन की ओर उठी पर बोस के दर्शन ना कर पायी।
अब नीरा सोचने लगी कि किस प्रकार बोस का सानिध्य पाया जाए जो बार बार वह उन्हें देख सके।वह जानबूझकर काम मे गलती करती ताकि बोस उसे बुलाकर गलती समझाएंगे ।और यही बात हुई भी आज नीरा ने प्रोजेक्ट मे कोई गलती कर दी जिससे बोस का झुंझलाते हुए फोन आया।"आप मेरे केबिन में आइए।"
नीरा जब अंदर पहुंची तो बोस उसे समझा रहे थे लेकिन नीरि के तो कानों मे जैसे घंटियां बज उठी थी।तभी बोस ने मुस्कुराते हुए कहा,"क्या बात नीरा जी आप कहां खो जाती है ।"नीरा फिर से झेंप गयी।यही सिलसिला चलता रहा सालभर ना नीरा मन की कह पायी और ना उसके बोस ने ही कोई इशारा किया लेकिन पसंद दोनों ही एक दूसरे को करते थे।एक दिन नीरा की तबीयत खराब हो गयी उसने फोन पर कह दिया वो आफिस नही आयेगी । लेकिन जब अगले दिन भी वह आफिस ना गयी तो उसके बोस अनिरुद्ध का फोन आया ,"कया बात नीरा आफिस को बिल्कुल भूल गयी हो क्या । यहां आ जाओ बैठ कर ही तो काम करना है ।"अब भी अनिरुद्ध ये बात छिपा गया कि उसका नीरा के बगैर मन नही लग रहा।"यही हाल नीरा का था ।नीरा को भी घर पर एक एक पल भारी हो रहा था।जब वह आफिस पहुची तो उसका केबिन फूलों के गुलदस्ते से सजा था ।धीरे धीरे दोनों नजदीक आते जा रहे थे।तभी अनिरुद्ध को अपने निजी काम के लिए बरेली जाना पड़ा । नीरा के पांच छह दिन बड़ी मुश्किल से कटे । सातवें दिन जब वह आफिस पहुची तो सब लोग किसी बात पर चर्चा कर रहे थे जब उसने पूछा कि क्या चर्चा चल रही है तो मालती ने बताया अनिरुद्ध सर ने शादी कर ली वही बरेली से ही दुल्हन लाये है उनके नाना जी ने एक लड़की देख रखी थी उनके लिए ।मरते हुए नाना जी का वचन वो तोड़ नही पाये। नीरा को तो काटो तो खून नही ये हाल हो गया।उसने तुरंत लीव दी और घर आ गयी और पिताजी ने जो लड़का विदेश मे देखा था उसके लिए हां कह कर दी ।
आज दस सालों बाद वह भारत जा रही है जैसे ही मीटिंग आफिस मे पहुंची वो ही आफिस और मीटिंग पर्सन वही अनिरुद्ध ।वह फटाफट मीटिंग खत्म करके जा ही रही थी कि पीछे से अनिरुद्ध ने आवाज दी ,"इतने दिनों बाद मिले है कुछ चाय काफी नही लोगी हमारे साथ ।एक दोस्त की खातिर ही सही।हम ने उसी रेस्तरां मे चाय पी जिसमे पहले पीते थे और मै अपने घर यहां विदेश लौट आयी सारे गिले शिकवे दूर करके मन मे अनिरुद्ध को अपना सच्चा दोस्त मानकर
आँचल सोनी 'हिया'
05-Jan-2023 04:38 PM
Awesome
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Gunjan Kamal
03-Jan-2023 12:34 PM
वाह बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
30-Dec-2022 05:19 PM
बेहतरीन
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